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Crop ProtectionCrop Protection 6
सप्टेंबर
जुताई पूर्व से लेकर मध्य जुताई की स्वस्था में राइस ब्लास्ट का प्रबंधनजुताई पूर्व से लेकर मध्य जुताई की स्वस्था में राइस ब्लास्ट का रासायनिक नियंत्रण 1. पत्ती पर 5% क्षति या 1 से 2% नेक संक्रमण होने की स्थिति में एडिफेंफॉस, कार्बेंडाजिम@0.1 % या ट्राइक्लाइक्लैजोक @ 1 gm /lit पानी के साथ छिड़काव करें। File Courtesy:
http://www.ikisan.com/links/ap_ric eDetailedStudyofDiseases.shtml
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट का नर्सरी की अवस्था में प्रबंधन
धान की नर्सरी अवस्था में राइस ब्लास्ट रोग का रासायनिक नियंत्रण: 1 .2 से 5% रोग गंभीरता की स्थिति में एडिफेबफॉस, कार्बेंडाजिम या 1 BP 48 @ 0.1 % का इस्तेमाल करें। संक्रमण दिखाई पड़ने पर N उर्वरकों का टॉप ड्रेसिंग विलम्ब से करें।
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http://www.ikisan.com/links/ap_ric eDetailedStudyofDiseases.shtml
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट का रासायनिक नियंत्रण1. स्थानिक क्षेत्र में निम्नलिखित रसायनों के साथ उपचार करना चाहिए: • पायरोक्विलॉन 50 WP (फॉन्गोरीन) @ 1 g/kg or • ट्राइसाइक्लेजोल 75 WP (बीम या सिविक) @ 1 g/kg or • कार्बेंडाजिम 50 WP (बैवैस्टिन) @ 2g/kg. File Courtesy:
राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट के नियंत्रण की पारंपरिक पद्धतियां1. रोग मुक्त क्षेत्र से संग्रह किए बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। 2. खर-पतवार, साथ उगने वाले पोषक पौधे तथा फ़सल के बचे हिस्सों से प्राथमिक रोग प्रतिरक्षण तथा अंत में होने वाले रोग की गंभीरता कम हो सकती है। 3.………. . बिचड़ों को पानी भरी बिचड़े की क्यारी में उगाना चाहिए। ऊंची भूमि वाली नर्सरी में उगने वाले बिचड़ों में प्रतिरोपण के बाद भी ब्लास्ट के संक्रमण की अधिक संभावना होती है। चावल की ऐसी किस्में जिनकी एपिडर्मल कोशिकाओं में सिलिकन का कम मात्रा होती है....... File Courtesy:
राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट के प्रतिरोधी पोषक पौधे1. काफी प्रभावी तथा टिकाई प्रतिरोधी चावल पौधों की किस्मों का विकास काफी संभावनाशील विकल्प है। 2. हालांकि ब्लास्ट के लिए प्रतिरोधी किस्मों की ब्रीडिंग में कई बार ऐसे रोगाणुओं की तीव्र वृद्धि देखी जाती है जो उस किस्म के लिए अनुकूलित हो जाते हैं। 3. कई किस्में इस रोग लिए प्रतिरोधी पाई गई हैं। File Courtesy:
राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट के प्रबंधन सिद्धांत1. इस रोग के कई उपलब्ध प्रबंधनों में रासायनिक नियंत्रण को काफी सफल माना जाता है जो कई देशों में व्यापक रूप से उपयोग में लाया जाता है। 2. हालांकि रासायनिक कीटनाशियों के अत्यधिक उपयोग के खतरे से बचने के लिए इस रोग के नियंत्रण के वैकल्पिक विधि पर जोर डाला जा रहा है। 3. प्रभावी कल्चर, रसायन तथा प्रतिरोधी पोषक पौधे वाला समेकित प्रयास इस विनाशकारी रोग के प्रबंधन के लिए आदर्श होता है।
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राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
अन्य रोगों द्वारा उत्पन्न समान लक्षणों की समस्याराइस ब्लास्ट की तुलना में अन्य रोगों द्वारा उत्पन्न रोगों की समस्या 1. पिनहेड आकार के भूरे जख्म Helminthosporium oryzae द्वारा उत्पन्न भूरे धब्बे से मिलते-जुलते लगते हैं। 2. व्हाइटहेड के लक्षण वैसे ही दिखाई पड़ते हैं, जैसे स्टेम बोरर द्वारा उत्पन्न होते हैं। File Courtesy:
http://www.knowledgebank.irri.org/riced octor/index.php?option=com_content &vi ew=article&id=562&Itemid=2767
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सप्टेंबर
राइस प्लास्ट के जमा होने से पूर्व कारक1. पत्ती की सतह पर पानी की पतली झिल्ली संक्रमण को बढ़ावा देती है। 2. रात का कम तापमान (24 डिग्री से कम) के साथ उच्च आपेक्षिक आर्द्रता के कारण पत्तियों पर ओस का निर्माण होता है और इस प्रकार इस रोग की तीव्र वृद्धि होती है। 3. उच्च भूमि में ब्लास्ट के रोग निचली भूमि से अधिक पाया जाता है।
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राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट के लिए जब क्षति की अहम अवस्थाराइस ब्लास्ट द्वारा क्षति की अहम अवस्था 1. राइस ब्लास्ट धान के पौधे को किसी भी वृद्धि अवस्था में प्रभावित कर सकता है। 2. जुताई की अवस्था में धान के बिचड़े या पौधे प्रायः पूरी तरह से मृत हो जाते हैं। उसी प्रकार पुष्प गुच्छ में भारी संक्रमण से चावल की उपज को नुकसान पहुंचता है। File Courtesy:
http://www.knowledgebank.irri.org/ricedoctor/ index.php?option=com_content &view=article &id=562&Itemid=2767
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट से होने वाली क्षति की क्रियाविधिराइस ब्लास्ट से होने वाली क्षति की क्रियाविधि 1. रोग चक्र का आरंभ धान की पत्ती पर कोनिडिया के जमा होने से होता है तथा इसका अंकुरण एक जर्म ट्यूब तथा एक ऐप्रेसोरियम के निर्माण से होता है। 2. अनुकूल परिस्थितियों में संक्रमण के लक्षण 4-5 दिनों के भीतर उत्पन्न होते हैं। 3. कोनिडिया का निर्माण संक्रमण के 6-7 दिनों के बाद पत्तियों पर जख़्म वाले स्थान पर होता है। स्पोर निर्माण की दर आपेक्षिक आर्द्रता की दर बढ़ने पर बढ़ती है। File Courtesy:
राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट का जीवन क्रमपाइकुलेरिया ऑराइजा (pyricularia oryzae) का जीवन क्रम File Courtesy:
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट के विभिन्न पोषकराइस ब्लास्ट रोगाणु pyricularia oryzae के विभिन्न पोषक 1. Setaria intermecia, Digitaria marginata, Panicum repens तथा Leersia hexandr जैसे आनुशंगिक पोषक घासों की उपस्थिति के कारण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वर्ष भर वायु जनित कोनिडिया मौजूद रहते हैं।
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http://www.ikisan.com/links/ap_rice DetailedStudyofDiseases.shtml
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट उत्पन्न करने वाले सामान्य जीव (रोगाणु)1. राइस ब्लास्ट रोग पैदा करने वाला सामान्य जीव पाइकुलेरिया ग्रीजी(P.oryzae) है। File Courtesy:
राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
ब्लास्ट से प्रभावित होने वाले हिस्सेपौधे के वे हिस्से जो ब्लास्ट रोग से प्रभावित होते हैं: • पत्तियां • कॉलर • नोड • ग्रीवा
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राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
नेक ब्लास्ट के लक्षणनेक ब्लास्ट के लक्षण File Courtesy:
राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
नोड ब्लास्टराइस ब्लास्ट रोग की पहचान के लिए प्रयुक्त लक्षण: • नोड पर जब संक्रमण होता है, तब वे अनियमित काले क्षेत्रों से ढंक जाते हैं • प्रभावित नोड टूट सकते हैं और संक्रमित नोड के ऊपर पौधे का सभी हिस्से मृत हो सकते हैं।
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डॉ. मैनुअल ( राइस ब्लास्ट रोग तथा उसका प्रबंधन)
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डॉ. मैनुअल ( राइस ब्लास्ट रोग तथा उसका प्रबंधन)
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सप्टेंबर
पैनिकल ब्लास्ट (पुष्प-गुच्छ में होने वाले ब्लास्ट) के लक्षणपैनिकल ब्लास्ट के लक्षण 1. पुष्पण के समय, पुष्प-गुच्छ के आधार के क्षेत्रों पर हमले होते हैं जिससे ‘रॉटन नेक’ या ‘नेक रॉट’ के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। 2. पुष्प अक्ष के नीचे मुख्य नोड का काला होना नेक इंफेक्शन (ग्रीवा संक्रमण) कहलाता है। 3. ऐसे में ऊपरी हिस्सा झुर्रीदार तथा धूसर माइसीलियम से ढंक जाता है। 4. नेक इंफेक्शन वाला पुष्प-गुच्छ प्रायः टूट जाता है जिससे दाने का संपूर्ण नुकसान हो जाता है।
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राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
कॉलर ब्लास्टकॉलर ब्लास्ट के लक्षण 1. कॉलर रॉट अवस्था पत्ती के पृष्ठ के जोड़ पर तथा आवरण पर संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है, जिससे भूरी से गहरी भूरी जख्म के लक्षण विकसित होते हैं। 2. सबसे ऊपरी पत्ती पर या आखिरी पत्ती से दूसरी पत्ती पर होने काले कॉलर रॉट संक्रमण के कारण प्रायः सारी पत्ती मृत हो जाती हैं।
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राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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सप्टेंबर
लीफ ब्लास्ट1. लक्षण पत्तियों की फलक पर छोटे-छोटे 1-3 मिमी. व्यास वाले गेहुंए 2. संवेदनशील किस्मों में विकसित धब्बे नम परिस्थियों में तेजी से बड़े होते हैं तथा वे अंडाकार या आंखों के आकार के हो जाते हैं, जिनके सिरे पत्तियों पर कमोबेश नुकीले दिखाई पड़ते हैं। 3. धब्बों के केंद्र भाग प्रायः धूसर तथा गेहुंए और किनारे के भाग भूरा अथवा लाल-भूरे हो जाते हैं। File Courtesy:
राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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DRR
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सप्टेंबर
राइस ब्लास्ट के लक्षण• कवक पत्तियों, नोड, पुष्प-गुच्छ को प्रभावित करते हैं तथा विशेष लक्षणों का निर्माण करते हैं। File Courtesy:
राइस ब्लास्ट रोग तथा इसका प्रबंधन ( डॉ. कृष्णवेणी)
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CRRI
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